जमशेदपुर : आतंकी घटनाएं अब बर्दाश्त नहीं, मिलेगा ऑपरेशन सिंदूर जैसा जवाब : ओम बिरला

 जमशेदपुर : आतंकी घटनाएं अब बर्दाश्त नहीं, मिलेगा ऑपरेशन सिंदूर जैसा जवाब : ओम बिरला

जमशेदपुर : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की प्लेटिनम जुबली (75 वर्ष) समारोह में भाग लिया और इस ऐतिहासिक संस्था के योगदान की सराहना की. बिष्टुपुर स्थित लोयोला स्कूल के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस धरती पर भगवान बिरसा मुंडा ने स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई, वहीं जमशेदजी टाटा ने औद्योगिक भारत की नींव रखी. इसी नींव पर सिंहभूम चैंबर ने बीते 75 वर्षों में एक मजबूत औद्योगिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना खड़ी की है.

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भारत बना अवसरों की धरती, तेजी से बढ़ रही है अर्थव्यवस्था

श्री बिरला ने कहा कि आज का भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. यह भारत के लिए ‘स्वर्णिम युग’ है. देश स्टार्टअप, रक्षा निर्माण और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है. पहले हम हथियार मंगाते थे, आज हम खुद बना रहे हैं. भारत अब अवसरों और संभावनाओं की धरती बन चुका है. उन्होंने उद्योगों, सामाजिक संस्थाओं और युवाओं से विकसित भारत के निर्माण में अगले ढाई दशक के लिए समर्पित भाव से कार्य करने का आह्वान किया.

आतंकवाद पर सख्त रुख, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसा जवाब दोहराया जाएगा

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत अब किसी भी आतंकी घटना को बर्दाश्त नहीं करेगा. जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उन्हें ऑपरेशन सिंदूर जैसे कड़े जवाब का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और एक ‘नया भारत’ उभर रहा है, जो किसी भी प्रकार की आतंकी साजिश का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है.

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व्यापारियों और MSME की सराहना, नई नीतियों की जरूरत पर ज़ोर

ओम बिरला ने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भले ही जमशेदपुर शहर को देखा नहीं, लेकिन उनके सपनों के अनुसार यह लौहनगरी औद्योगिक और सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है. उन्होंने एमएसएमई और स्थानीय व्यापारियों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि सिंहभूम चैंबर जैसे संगठन, नीतिगत सुझाव देकर देश के औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए नीति बनानी चाहिए, क्योंकि इन्हीं उद्योगों से रोजगार और स्थानीय आर्थिक विकास को गति मिलती है.

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