जमशेदपुर : भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के अवसर पर ‘धर्म रक्षिणी पौरोहित्य महासंघ’ के अस्थायी कार्यालय मानगो डिमना रोड स्थित आशीर्वाद नगर में एक भव्य धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में जमशेदपुर के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आचार्यगण उपस्थित हुए.
कार्यक्रम की शुरुआत आचार्यों द्वारा सामूहिक स्वस्तिवाचन के साथ हुई. इसके बाद गणपति-अंबिका पूजन, वरुण पूजन, नवग्रह पूजन, षोडश मातृका, दिगरक्षण और अंत में भगवान परशुराम की पूजा सम्पन्न हुई. ध्वज एवं फरसा पूजन भी विशेष रूप से किया गया. पूजन कार्यक्रम में यजमान की भूमिका पं. नितिन कुमार झा ने निभाई. सामूहिक रूप से सभी आचार्यों ने मिलकर भगवान परशुराम का पूजन सम्पन्न कराया. ध्वज पूजन के बाद आचार्यों को वह ध्वज अपने-अपने घरों की छत पर लगाने के लिए प्रदान किया गया.
पूजन उपरांत उपस्थित आचार्यों ने विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया और 108 फूलवत्तियों से भगवान परशुराम की आरती की गई. साथ ही पुष्प पंखुड़ियों से सहस्रार्चन कर भगवान परशुराम को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
भगवान परशुराम – धर्म रक्षा के प्रतीक: पं. विपिन झा
पं. विपिन कुमार झा ने भगवान परशुराम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे विष्णु के छठे अवतार हैं, जिनका जन्म भृगु ऋषि के कुल में हुआ. भगवान शिव से उन्होंने अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की और परशु (कुल्हाड़ी) प्राप्त कर परशुराम नाम से प्रसिद्ध हुए. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी धर्म, गौ, ब्राह्मण, देवता एवं आम जनमानस की रक्षा हेतु हम सभी आचार्यों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र को भी स्थान देना होगा.
कार्यक्रम का समापन “जय परशुराम” के नारों और प्रसाद वितरण के साथ हुआ. इस अवसर पर मुख्य रूप से पं. मणिकांत झा, परशुराम पांडेय, गोपाल झा, विनय झा, शंकर मिश्रा, राम अवधेश चौबे, राज कुमार मिश्रा, अमित शर्मा, राजेश शर्मा, विष्णु भगवान पाठक, तरुण चौधरी, पंकज बनर्जी, राजू बनर्जी, राकेश पाठक, आनंद पांडेय, ब्रज किशोर शास्त्री, संजय उपाध्याय, राम विलास शर्मा, मदन झा, चंद्रकांत झा, सुधीर झा, कमलेश मिश्र समेत अनेक गणमान्य आचार्यगण उपस्थित थे.