चाईबासा : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. चाईबासा स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है. यह वारंट भाजपा के खिलाफ दिए गए कथित आपत्तिजनक बयान को लेकर दर्ज मामले में जारी किया गया है.
यह मामला 9 जुलाई 2018 का है, जब भाजपा नेता प्रताप महतो ने राहुल गांधी के बयान को भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद पत्र दाखिल किया था. आरोप था कि बयान से भाजपा के मान-सम्मान को ठेस पहुंची है.
कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर बढ़ी कानूनी कार्रवाई
मामले में 20 फरवरी 2020 को झारखंड हाईकोर्ट के आदेशानुसार केस को रांची स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था, जिसे बाद में पुनः चाईबासा स्पेशल कोर्ट में भेजा गया. न्यायिक दंडाधिकारी ने संज्ञान लेने के बाद राहुल गांधी को समन जारी किया, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुए.
पुनः जमानती वारंट भी भेजा गया, लेकिन उपस्थिति ना होने पर अंततः कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. राहुल गांधी ने इस वारंट को रोकने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में डब्ल्यूपी सीआर नंबर 230/2024 दाखिल किया था, जिसे 20 मार्च 2024 को खारिज कर दिया गया. बाद में उन्होंने चाईबासा कोर्ट में धारा 205 सीआरपीसी के तहत व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का आवेदन भी दिया, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया.
अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें
अब सभी की नजरें अगली सुनवाई पर टिकी हैं. कोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट के बाद राहुल गांधी को न्यायालय में पेश होना अनिवार्य हो गया है. यदि वे फिर भी अनुपस्थित रहते हैं, तो उनके खिलाफ आगे की सख्त कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.