जमशेदपुर : जरा सोचिए, जब एक मां प्रसव पीड़ा में तड़प रही हो, और एंबुलेंस शहर के ट्रैफिक जाम में फंसी हो — तब हर पल कितना भारी होता है. बुधवार की शाम ऐसा ही एक भावुक और संघर्षपूर्ण क्षण देखने को मिला, जब मानगो पुल पर जाम के कारण एक गर्भवती महिला को एंबुलेंस में ही बच्ची को जन्म देना पड़ा. हालात बेहद गंभीर हो चले थे, लेकिन एंबुलेंस चालक की हिम्मत और सूझबूझ ने समय रहते जच्चा-बच्चा को एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, जहां दोनों की जान बच सकी.
डुमरिया के भागाबांधी गांव की माला रानी भगत (24) को बुधवार शाम प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिजन उसे पहले डुमरिया सीएचसी ले गए, जहां से स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया. एंबुलेंस से जब वे जमशेदपुर आ रहे थे, तभी बालीगुमा के आस-पास माला ने एक बच्ची को जन्म दे दिया.
मानगो पुल पर एक घंटे तक फंसी रही एंबुलेंस
जच्चा-बच्चा को लेकर जैसे ही एंबुलेंस मानगो डिमना रोड होते हुए पुल की ओर बढ़ी, उन्हें पता चला कि मानगो पुल पर भारी ट्रैफिक जाम लगा हुआ है. एंबुलेंस में माला के साथ उसके पति फूलचंद भगत और सहिया बासंती पात्रो मौजूद थीं। एक घंटे से अधिक समय तक एंबुलेंस जाम में फंसी रही और माला की हालत बिगड़ती गई.
सांसद द्वारा प्रदत्त एंबुलेंस का चालक बना फरिश्ता
ऐसे संकट की घड़ी में एंबुलेंस चालक सुभाष गिरि ने हिम्मत और सूझबूझ का परिचय दिया. सांसद विद्युत वरण महतो द्वारा प्रदत्त इस एंबुलेंस को चलाते हुए सुभाष किसी तरह ट्रैफिक से रास्ता निकालते हुए मां-बच्ची को गंभीर स्थिति में एमजीएम अस्पताल पहुंचाया. वहां चिकित्सकों ने तत्काल इलाज शुरू किया.
एमजीएम अस्पताल में भर्ती माला रानी और उसकी नवजात बच्ची दोनों अब सुरक्षित हैं. फूलचंद भगत ने बताया कि उनकी पत्नी जनवरी से मायके में थी. उनके एक छह साल के बेटे के बाद अब यह दूसरी संतान है। वे खेती के साथ-साथ एक ग्राहक सेवा केंद्र में भी कार्य करते हैं.